देश रक्षा समं पुण्यं , देश रक्षा समं व्रतं
देश रक्षा समं याज्ञो , दृष्टो नैव च नैव च
अर्थ : देश रक्षा जैसा कोई पुण्य नहीं। देश रक्षा के समान कोई व्रत नही और देश रक्षा जैसा कोई यज्ञ नही इसलिए अपने प्राणों की बाजी लगाकर भी देश की रक्षा करना प्रत्येक देशवासी का परम कर्तव्य है।